News Agency : लोकसभा चुनाव 2019 में कांच की चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध, एटा, इटावा और मैनपुरी से सटे अकबर के जमाने के शहर फिरोजाबाद में काफी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल सकता है. इस सीट पर यादव परिवार के चाचा-भतीजा एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रहे हैं. मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव और सपा के मौजूदा सांसद और रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इसके साथ ही बीजेपी ने भी अपने पुराने कार्यकर्ता डॉ. चंद्रसेन जादौन को मैदान में उतारा है. चूंकि बीजेपी का मुकाबला यादव परिवार से है लिहाजा चुनौती काफी कड़ी है.
लोकसभा चुनावों से पहले शिवपाल यादव ने सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाई है. जबकि अक्षय सपा की टिकट पर ही मैदान में हैं. twenty three अप्रैल को इस सीट पर होने जा रहे मतदान में इन दोनों के अलावा अन्य प्रत्याशियों की किस्मत मतपेटियों में बंद हो जाएगी. हालांकि एक ही परिवार के दो लोगों के आमने-सामने होने के कारण हार-जीत भी राेमांचक होगी. लोकसभा चुनाव 2014 में पूरे उत्तर प्रदेश में भारी मोदी लहर के बावजूद यहां समाजवादी पार्टी समाजवादी पार्टी के अक्षय यादव ने बाजी मार ली थी. अक्षय यादव को कुल five लाख से ज्यादा यानी forty eight.4% वोट मिले थे जबकि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को thirty eight फीसदी वोट मिले थे. अक्षय यादव ने एसपी सिंह बघेल को शिकस्त दी थी. ऐसा नहीं है कि बीजेपी इस सीट पर जीत नहीं पाई है. 1991 के बाद बीजेपी के प्रभु दयाल कठेरिया ने जीत की हैट्रिक लगाई थी.
2014 के आंकड़ों के अनुसार यहां sixteen लाख से अधिक वोटर हैं. इनमें nine लाख से अधिक पुरुष और seven लाख से अधिक महिला मतदाता हैं. 2019 के चुनाव में भी इस सीट पर मुस्लिम, जाट और यादव वोटरों का समीकरण बड़ी भूमिका निभा सकता है. दिलचस्प है कि इसकी पांच विधानसभा सीटों में से चार पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. जबकि सिर्फ एक सिरसागंज सीट पर सपा ने जीत दर्ज की थी. फिरोजाबाद यादव बहुल सीट है. यहां यादव वोटर की संख्या four.31 लाख के करीब है, इसके अलावा a pair of.10 लाख जाटव, 1.65 लाख ठाकुर, 1.47 लाख ब्राह्मण, 1.56 लाख मुस्लिम और one.21 लाख लोधी मतदाता हैं.